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Children Education
वैदिक शिक्षा
वैदिक शिक्षा – वर्तमान बदलते परिवेश में यह अत्यंत जरूरी हो गया है कि बच्चों को उस वैदिक शिक्षा और संस्कारों से जोड़ा जाए, जो हमारा अतीत रहे हैं। जिस समय विश्व में शिक्षा नाम की कोई चीज नहीं थी उस समय भारतीय समाज में वैदिक शिक्षा का प्रचलन था । वैदिक शिक्षा गुरुकुल में हुआ करती थी, शिष्य अपने गुरु के सानिध्य में रहकर शिक्षा प्राप्त किया करता था। यह शिक्षा ना केवल सामाजिक थी बल्कि अस्त्र-शस्त्र, संगीत, राजनीति, ज्योतिष, खगोल आदि से भी जुडी हुई थी। यह व्यवहारिक जीवन की शिक्षा थी। भारत में तक्षशिला, नालंदा जैसे गुरुकुल हुआ करते थे जिसमें चाणक्य जैसे गुरु का सानिध्य छात्रों को मिला करता था । शिक्षा व्यक्ति का सामाजिक और राष्ट्रीय प्रगति के लिए अनिवार्य तत्व हैं। परिंदे फाउंडेशन ने इस तथ्य को भली-भांति समझते हुए वैदिक शिक्षा से बच्चों को जोड़ने का प्रकल्प प्रारम्भ करने का संकल्प लिया है, ताकि बच्चे गुरु के सानिध्य में मौलिक शिक्षा प्राप्त कर सकें।
संबल
परिंदे फाउंडेशन संस्था समाज में कमजोर तबके के बच्चों के जीवन को संबल प्रदान करने का भी निरंतर प्रयास कर रही है। खासकर बालिकाओं को निःशुल्क शिक्षा के साथ-साथ उनके जीवन की हर जरूरत को पूरा करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक बालिकाओं को प्राइमरी से लेकर हायर एजूकेशन तक मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। मथुरा में संचालित स्ट्रीट स्कूल के 300 से अधिक बच्चों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकें, खानपान की वस्तुएं व जरूरत का सामान भी संस्था द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। दिव्यांग व शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों को ट्राईसाइकिल व अन्य आवश्यक उपकरण भी संस्था समय-समय पर उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा मलिन बस्तियों व झौंपड़ पट्टियों में जिंदगी बसर करने वाले परिवारों के बच्चों को भी संस्था द्वारा उनकी जरूरत का हर सामान उपलब्ध कराया जा रहा है। शीतकाल में ऐसे बच्चों को गर्मवस्त्र उपलब्ध कराने का प्रकल्प निरंतर पांच वर्ष से चल रहा है। इसके साथ ही सक्षम परिवार के बच्चों को भी प्रेरित किया जा रहा है की वे अपना जन्मदिन, होलीदीपावली जैसे त्यौहार असहाय बच्चों के बीच मनाएं। उनके जीवन को खुशियों से भरने का प्रयास करें, ताकि समाज में एकरूपता के भाव जाग्रत किए जा सकें।