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Senior Citizens
जीवन संध्या
समाज में आज ऐसे अनगिनत बुजुर्ग हैं, जो बदलते परिवेश, एकल परिवार की ओर बढ़ते समाज में अलगथलग पड़ गए हैं। परिंदे फाउंडेशन ने उन बुजुर्गों की सेवा के जीवन संध्या प्रकल्प के माध्यम से इस दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं। ऐसे 80 से अधिक बुजुर्गों की सेवा संस्था द्वारा निरंतर की जा रही है। वे चाहे वृद्धाश्रम में रह रहे हों या अलग किसी किराये की कोठरी में जिंदगी का संध्याकाल गुजार रहे हों, संस्था का प्रयास उन तक पहुंचना। उनके बेरंग जीवन में अपनेपन के रंग भरने का रहा है। ये वे बुजुर्ग हैं, जिन्होंने नातीपोतों व बेटे-बेटियों और बहुओं की खुशियों के लिए इस उम्मीद में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया की जीवन का संध्याकाल अपनेपन की बगिया के बीच गुजरेगा। परंतु, वे अनुभवों से भरे अपने जीवन के संध्या काल को अभावों और अपनेपन के बिना जीने को मजबूर हैं। परिंदे फाउंडेशन ने कोरोना संक्रमणकाल में ऐसे ही बुर्जुगों को जरूरत के सामान के साथ-साथ उनका उपचार कराने और दवाओं की उपलब्धता कराने का भी निरंतर प्रयास किया।
सक्षम प्रकल्प
परिंदे फाउंडेशन द्वारा वृंदावन के आश्रय सदनों में रह रहीं असहाय व आसक्त माताओं की सेवा निरंतर की जा रही है। उनको वस्त्र से लेकर भोजन के लिए जरूरत का समान उपलब्ध कराया जाता रहा है। सर्दियों में संस्था द्वारा गर्म वस्त्र व कंबल आदि उपलब्ध कराए जा रहे है। इसके साथ ही घरेलू व सामाजिक हिंसा की शिकार महिलाओं/युवतियों को कानूनी मदद भी संस्था द्वारा प्रदान की जा रही है। इसके साथ ही ऐसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने उनको योग्यता के अनुसार नौकरी उपलब्ध कराना भी संस्था का प्रयास रहा है। पांच वर्ष में संस्था ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बुजुर्गों की सेवा के लिए जीवन संध्या प्रकल्प की तरह ही संस्था ने ऐसी घरेलू व सामाजिक हिंसा की शिकार महिलाओं, परित्यक्ताओं व असक्त महिलाओं व युवतियों की सेवा के लिए सक्षम प्रकल्प की शुरुआत की है। इस प्रकल्प का उद्देश्य ऐसी महिलाओं व युवतियों के लिए एक आश्रम की स्थापना करके उनको आत्मनिर्भर व समाज में सम्माजनक जिंदगी जीने का अधिकार प्रदान करना है। वर्तमान में करीब पाँच सैकड़ा महिलाएं/युवतियां संस्था के संपर्क में हैं।